अजमेर जिला Gk
🔷️उपनाम - भारत का मक्का, राजस्थान का ह्रदय, राजपूताने कि कुंजी, राजस्थान का जिब्राल्टर
🔷️राजस्थान के भौतिक विभाजन की दृष्टि से अजमेर अरावली पर्वतीय प्रदेश का भाग है।
🔷️अजमेर सर्वाधिक अंडा उत्पादन जिला है इसलिए इसे अंडों की टोकरी भी कहा जाता है।
🔷️राजस्थान में सर्वाधिक फेल्सपार का उत्पादन अजमेर जिले में होता है।
समेमाबाद
निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रधान पीठ सलेमाबाद मे स्थित है।
निम्बार्क सम्प्रदाय की स्थापना आचार्य निम्बार्क ने की थी
आचार्य परशुराम देवाचार्य ने निम्बार्क सम्प्रदाय की सलेमाबाद पीठ की स्थापना की।
किशनगढ़
यहा पर अजमेर जिले का एकमात्र हवाई अड्डा स्थित है।
यह राजस्थान का सबसे बड़ा हैण्डलूम कैन्द्र है।
राजस्थान का एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय बांदरसिंदरी (किशनगढ़ मे) स्थित है। राजस्थान में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 2009 में की गई।
यहा पर राजस्थान का एकमात्र नवग्रह मन्दिर स्थित है।
यहाँ राजस्थान की एकमात्र मार्बल मंडी भी स्थित है।
भिनाय - यहाँ पर राजस्थान कि प्रथम सहकारी समिति की स्थापना की गई।
पुष्कर
उपनाम- कोंकण तीर्थ, तीर्थो का मामा, तीर्थो का तीर्थ, आदी तीर्थ
यहाँ पर राजस्थान कि सबसे बड़ी प्राकृतिक झील पुष्कर झील स्थित है।
यहाँ पर आधुनिक फूल मंडी स्थित है।
ब्यावर
नगर की स्थापना एरिक डिक्शन ने नया नगर के नाम से की थी ब्यावर को परकोटा युक्त शहर भी कहा जाता है।
राजस्थान की प्रथम सुती वस्त्र मिल द कृष्णा मिल्स लिमिटेड की स्थापना ब्यावर में की गई।
यहाँ पर बादशाह का मेला लगता है इसमे मयूर नृत्य का आयोजन भी कहा जाता है इस मेले की शुरुआत 1851 में हुई एवं इस मेले का आयोजन होली के तीसरे दिन किया जाता है।
नसीराबाद - राजस्थान मे 1857 कि क्रांति कि शुरुआत नसीराबाद छावनी से हुई।
मांगलियावास - प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या को यहाँ पर विश्व का एकमात्र कल्पवृक्ष मेला लगता है।
मसूदा - यह राजस्थान का प्रथम पूर्ण साक्षर गाँव है।
चरी नृत्य
- यह नृत्य गुर्जर जाति कि महिलाओं द्वारा किया जाता है।
- प्रसिद्ध- किशनगढ़ (अजमेर)
- प्रसिद्ध नृत्यांगना- फल्कु बाई
अजमेर जिले की प्रमुख नदियाँ
लुनी नदी
मांसी नदी
डाई नदी
सहोदरा नदी
प्रमुख बांध
नारायण सागर बांध- यह बांध जलिपा ग्राम मे खारी नदी पर निर्मित है जिसपर अजमेर कि सबसे बड़ी परियोजना संचालित है।
अजमेर जिले की प्रमुख झीले
पुष्कर झील
उपनाम- कोंकण तीर्थ, तीर्थो का मामा, हिंदुओ का पंचम तीर्थ, तीर्थराज
यह राजस्थान कि सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है।
यह राजस्थान कि सबसे प्राचीन झील है।
यह राजस्थान कि सबसे पवित्र झील है
यह राजस्थान कि सबसे प्रदूषित झील है।
महिला घाट - मैडम मैरी ने यहा पर महिला घाट का निर्माण करवाया। इसी घाट पर गांधी जी की अस्थियो का विसर्जन किया गया।
पुष्कर मेला- कार्तिक पूर्णिमा को इस झील के किनारे पुष्कर मेला लगता है।
आनासागर झील
निर्माण- इस झील का निर्माण अर्णोराज ने 1137 मे करवाया था।
इस झील मे बांडी नदी गिरती है।
जहांगीर ने इस झील के किनारे अपनी बेगम नूरजहाँ के लिए रूठी रानी महल का निर्माण करवाया।
शाहजहां ने इस झील के किनारे संगमरमर की बारहदरी का निर्माण करवाया था।
फाॅयसागर झील
1891-92 इस झील का निर्माण इंजीनियर फाॅय के निर्देशन में हुआ।
यह राजस्थान कि एकमात्र झील है जिसका निर्माण बाढ नियंत्रण के लिए किया गया है।
बीसलसर झील - इस झील का निर्माण विग्रहराज चतुर्थ द्वारा करवाया गया।
अजमेर जिले के प्रमुख मंदिर एवं मज्जिद
ब्रम्माजी का मंदिर- पुष्कर झील के किनारे ब्रम्हाजी का मंदिर बना हुआ है।
सावित्री माता का मन्दिर- इसी झील के किनारे रत्नागिरी कि पहाडिय़ों पर सावित्री माता का मन्दिर स्थित है। इस मदिर पर राजस्थान का तीसरा रोप वे बनाया गया है यह भारत का एकमात्र सावित्री जी का मंदिर है।
रंगनाथजी का मंदिर- पुष्कर झील के किनारे रंगनाथजी का भी मंदिर स्थिति है
रमा बैकुण्ठ मंदिर - यह रामानुज संप्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है।
मिनी रामदेवरा- अजमेर व नागौर की सीमा पर स्थित रामदेव जी के मंदिर को मिनी रामदेवरा कहा जाता है।
गायत्री मंदिर - यह मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है मणिबंद शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
वराह मंदिर - यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है इसका निर्माण 12 वीं सदी में अर्णोराज द्वारा करवाया गया था।
महाराणा प्रताप के छोटे भाई समर सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।
सोनीजी की नसियाँ - इसका निर्माण सेठ मूलचंद सोनी द्वारा प्रारंभ करवाया गया किंतु इसे उनके पुत्र टीकम चंद सोनी द्वारा 1865 में पूर्ण करवाया गया, यह मंदिर ऋषभदेव को समर्पित है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह
उपनाम ख्वाजा साहब गरीब नवाज
भारत में चिश्ती सिलसिला की स्थापना ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा की गई।
अजमेर में इनकी दरगाह का निर्माण इल्तुतमिश ने प्रारंभ करवाया एवं हुमायूं ने इसे पूर्ण करवाया।
यहां पर रज्जब मांग में 6 दिन का उर्स भरता है जो कि भारत का सबसे बड़ा उर्स है।
अढाई दिन का झोपडा
यहां एक संस्कृत पाठशाला थी जिसका निर्माण विग्रहराज चतुर्थ द्वारा करवाया गया था किंतु कुतुबुद्दीन ऐबक नए इसे तुडवा कर एक मस्जिद में परिवर्तित करवा दिया
यहाँ पर पंजाबशाह का उर्स लगता अढाई दिन का उर्स लगता है।
अजमेर जिले के प्रमुख दुर्ग व महल
अजयमेरु दुर्ग
इस दुर्ग का निर्माण अजयपाल चौहान द्वारा 1113 ईस्वी में करवाया गया।
यह दुर्ग गठबीठली पहाड़ी पर निर्मित है इसलिए इसे गठबीठली दुर्ग भी कहा जाता है। इसे राजस्थान का जिब्राल्टर भी कहा जाता है।
इसे तारागढ़ दुर्ग भी कहा जाता है।
इस दूर्ग मे मीरानं साहब की दरगाह स्थित है जिसमें भारत की एकमात्र घोड़े की मजार स्थित है।
यह दुर्ग राजस्थान में सर्वाधिक आंतरिक आक्रमण झेलने वाला दुर्ग है।
इस दुर्ग में कुल 14 बुर्ज है।
मैग्नीज दुर्ग
उपनाम - अकबर का किला
इस दुर्ग का निर्माण अकबर द्वारा 1571-72 में करवाया गया।
हल्दीघाटी के युद्ध की योजना इसी दुर्ग में तैयार की गई।
10 जनवरी 1616 को सर टॉमस रो ने जहांगीर से भारत में व्यापार करने की इजाजत इसी दुर्ग से ली थी।
टाॅडगढ दुर्ग
फतेहगढ़ दुर्ग
इसे सरवाड़ का किला भी कहा जाता है।
रूठी रानी का महल
चश्मा ऐ-नूर महल
प्रमुख चित्रशैली
किशनगढ़ शैली/ बणी -ठणी
- बणी ठणी का मूल नाम विष्णुप्रिया था।
- बणी-ठणी का अर्थ है - सजी संवरी या सजी धजी
- सावंतसिंह(नागरीदास) - सावंतसिंह किशनगढ़ के शासक ने अपनी दासी का रानियो जैसा श्रंगार कर उसका चित्र बनवाया उस चित्र का नाम बणी-ठणी रखा। यह सावंतसिंह की प्रेमिका थी बनी ठनी चित्र के नाक में वेसरी आभूषण बनाया गया है
- निहालचंद बणी-ठणी का चित्रण निहालचंद ने किया।
- बणी-ठणी को राजस्थान की मोनालिसा भी कहा जाता है। इनहोने नागरीदास को कृष्ण एवं उनकी प्रेमिका को राधा का रूप दिया।
- एरिक डिकसन- इसको भारत की मोनालिसा की संज्ञा एरिक डिकसन ने दी किशनगढ़ शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय एरिंग डिक्शन एवं डॉ फैयाज अली को जाता है।
- भारत सरकार ने सन 1973 में बनी ठनी पर डाक टिकट जारी किया था।
- प्रमुख चित्रकार - निहालचंद, अमरचंद, लाडलीदास, सीताराम, बदनसिंह, नानकराम
- किशनगढ़ शैली वल्लभ संप्रदाय से प्रभावित शैली है।
- किशनगढ़ शैली का चांदनी रातों की संगोष्ठी नामक चित्र का चित्रांकन अमरचंद द्वारा किया गया।
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